मंदिरों में लोग देवी-देवताओं की मूर्तियों की परिक्रमा क्यों करते हैं ?
देव - मूर्तियों परिक्रमा करना अत्यंत लाभप्रद माना गया है। धर्मग्रंथों के अनुसार देवी - देवताओं की प्राणप्रतिष्ठित मूर्तियों के पास कुछ दुरी तक उनकी शक्ति की दिव्य प्रभा विद्यमान रहती है। जब व्यक्ति उस मूर्ति की दक्षिणावर्ती परिक्रमा करता है तो व्यक्ति की ऊर्जा की दिशा तथा दिव्यप्रभा की दिशा एकसमान होती है जिससे व्यक्ति की ऊर्जा में वृद्धि होती है तथा व्यक्ति की आंतरिक शक्ति में वृद्धि होने से वह अपने आप को शांत तथा तरोताजा महसूस करता है।
मूर्ति की परिक्रमा हमेशा दायें से बाएं की और (दक्षिणावर्ती ) करनी चाहिए।